Monday, February 11, 2008

कल शायद न होऊँ

दोस्तो मेरा नाम शम्स है, उम्र ४५ साल भार्तिये नागरिक हूँ १० लोगों के बीच अकेला कमाने वाला यहाँ पर मैं संक्छिप्त में अपनी आप बीती लिखना चाहूँगा, मैं चाहूँगा कि आप के साथ अपने दुःख को बांटुँ। वेसे तो ज़िंदगी अगर किसी को पूरी मिले तो वो ४० या ४५ साल ही मानी जायगी क्योँ कि यही वह समय है जिसमें इंसान कुछ करता है, मेरी पूरी ज़िंदगी ही मानो संघर्षमय रही। मैं एक ऐसा नाकाम व्यक्ति हूँ जो न एक अच्छा बेटा बन सका न एक अच्छा बाप और ना ही एक अच्छा पति। ऐसा नहीं के मैं ने कोशिश नहीं कि अभी तक मैं कोशिश ही कर रहा हूँ और इस कोशिश ने हमें इस मुकाम पर ला खड़ा कर दिया जहाँ से न तो कुछ आगे दिखाई देता है न पीछे, किसी ने क्या खूब कहा के ज़िंदगी कि तलाश में हम मौत के कितने पास आ गए। हो सकता है कल मुझे जेल भेज दिया जाये अपने देश से बहुत दूर एक ऐसी जगह जहाँ भार्तिये होना ही एक गुनाह है।
दोस्तो मैं बात कर रहा हूँ कुवैत कि, पिछले ३ साल से मैं एक प्राइवेट डेंटल क्लिनिक में Administrator कि हैसियत से काम कर रहा हूँ, पिछले डेढ़ साल से मेरा स्पांसर जो कि एक कुवैती डाक्टर है मुझे इतना परेशान कर रहा है कि मैं न मर सकता हूँ और न जिंदा रहने कि चाह है। मर इस लिये नहीं सकता कि मेरे पीछे मेरे परिवार का कोई सहारा नही, और जिंदा इस लिए नही रहना चाहता कि मैं उनके लिए कुछ नहीं कर पा रहा हूँ, डेढ़ साल से मैं ने उन्हें पैसा नहीं भेजा, कारण ... मुझे मेरे स्पांसर ने न अपने पास काम करने दिया न कहीं बाहर।
यहाँ एक बड़ा खूबसूरत सा कानून है, जानते हैं क्या, Ministry of Affair कोम्पनिओं से वेतन भुगतान certificate मांगती है, न देने पेर फ़ाइल बंद कर देती है यानी वह कोई वीजा नही निकाल सकता, उसके सामने दो ही रास्ते बचते हैं या तो वेतन का भुगतान करे या फिर केस कर दे कि employee भाग गया। मेरा वेतन भी ऊसने छे महीने से नहीं दिया और ऊपर से हम पर केस कर दिए, जब मुझे मालूम हूवा मैं उस से मिल और पूछा, हमे जवाब मिला कि मैं ने अपनी बेनिफिट के लिए किया है और यह कोई केस नही है तुम स्पांसर ढूँढ लो मैं केस उठा लूँगा, मुझे मालूम था कि जब तक केस उठता नहीं है ३०० रू प्रति दिन फाइन लगता है, जब मैं ने इस बारे में पूछा तो कहने लगा कि वो मैं दे दूंगा।
मैं नया स्पांसर तलाश कर चूका था उसे पैसे भी दे चूका था फिर इस डाक्टर के पास आया और केस उठाने कि अपील कि टाल मटोल करते करते आख़िर उसने केस उठाया पर तब तक फाइन ९०००० रू के करीब पहुंच चूका था, अब वह पेमेंट करने से इंकार कर रहा है, कुवैत के कानून के हिसाब से मुझे स्पांसर चेंज करने से पहले ये पैसे दे देना पड़ेगा बगेर पैसा दिए मैं इंडिया भी नहीं जा सकता वह इस बात से भी इंकार करता ही कि मेरा कोई हिसाब उसके पास निकलता है, जबकि मेरा हिसाब १,५०००० रू निकलता है, इन सब मामले में इंडियन एम्बेसी का रवैया कुछ ठीक नहीं क्योँ कि मैं ने अपने लिए तो नही पर अपने कुछ दोस्त के लिए जो इसी किस्म के हालात में फँसे थे कोशिश कर चूका हूँ, वकील से मिला तो वकील का कहना है कि पहले तुम स्पांसर चेंज करलो फिर केस करो वरना वह तुम्हें और भी नुकसान पहुँचा सकता है, ९०००० तो दूर मैं ९० रू भी अभी नहीं कर सकता और जब तक स्पांसर चेंज नहीं कर लेता कहीं काम भी नहीं कर सकता।
अब थोड़ी सी उन हालत के बारे में भी लिख दूं जो इन सारे हालात का नतीजा है,
पिता ७५ साल को पहुंच चुके आँख का ओपरेशन कराना था पैसे न होने के कारण टालता रहा कि वह एक दिन सीढ़ी पर से गिर गए प्न्सुली कि हड्डी टूट गई अभी यह ठीक भी नहीं हो पाया था कि दोबारा गिर गए इस बार बाजू कि हड्डी टूट गई। फोन पर रोते हैं कहते हैं आखरी बार तुम्हें देखना चाहता हूँ।
बच्चों ने स्कूल जाना चोढ़ दिया क्योँ कि फीस देने को नही, सरकारी स्कूल में जाते हैं पर वहाँ कि पढाई तो बस।
बीवी को फिर से पुरानी बीमारी ने आ घेरा, वह अपने मायके चली गई ताकि उसके बाप माँ उसका इलाज करा स्केन, बच्चे हमारे माता पिता के पास हैं छोटी बच्ची ३ साल कि है।
माँ इन हालात का सामना न कर सकी और वह पागल हो गई।
Human rights watch, Amnesty International, के साथ साथ कई दुसरे संस्थाओं को देश विदेश में अपनी हालत लिख चूका हूँ पर कोई फ़ायदा नज़र नहीं आता।
बेगुनाह होने का पुख्ता सूबूत होने के बावजूद भी मैं कुछ नहीं कर सकता, काश के मैं ऐसे दरिंदों को सजा दिला सकता , काश के मैं विश्व अदालत में उसपर केस कर सकता।

अभी मेरे पास न पासपोर्ट है न सिविल आईडी यहाँ चेकिंग बराबर होती रहती है कभी भी कहीं भी पकड़ा जा सकता हूँ और फिर मुझे डाल दिया जाएगा जहाँ से कितना भी चिखूं चिल्लाऊं मेरी आवाज़ बाहर कि दुनिया नहीं सुन पायेगी और फिर मेरी जिंदगी और कैरिअर का अंत भी सैंकडों उन लोगों कि तरह वैसे ही खामोशी से हो जायगा जिसे लोग जानते तक नहीं, कभी कसी ने कोई ज़िक्र नहीं किया।

बहुत से लोग ये सोंचते होंगे की ये आदमी एम्बेस्सी केयौं नहीं जाता, दोस्तो मैं एम्बेस्सी भी गया एक बार पहले भी गया था अपने लिये नहीं अपने किसी दोस्त के लिये, उसके साथ भी ऐसा ही कुछ मसला था, एम्बेस्सी ने कहा जो भी है आप लिख कर दे दें हम उसपर करवाई करेंगे, कई चक्कर लगाने के बाद उन्हों ने यह ख कर हाथ उठा दिया की हम ३ बार आप के स्पांसर को लेटर भेज चुके हैं वह कोई जवाब नहीं देता। मैं ने पूछा फिर क्या रास्ता है जवाब मिला के हम इस से ज़्यादा कुछ नहीं कर सकते। वह तो भला हो विदेश मंत्री का जो कुवैत के दौरे पर आये मैं उनसे मिल कर आपने दोस्त की परेशानी बताई जब जा कर काम कुछ आगे बढ़ा, इस बार जब मैं आपने लिये गया तो वही रूखा सा वेव्हार, आधिकारी से हाल में मुलाक़ात हुई और उन्हों ने खड़े खड़े ही हमारी वेव्था सुनने की इच्छा जताई आभी मैं शुरू ही हुवा था की उन्हों ने बात kaat कर कहा आप अपनी शिकायत लिखित रूप में काउंटर पर दे देन, मैं ने दे दिया, अब देखें क्या होता है।


No comments: